प्रभुपाद भारत के आध्यात्मिक राजदूत (Prabhupada Bharat ke Adhyatmik Rajdoot Sankshipt Roop me)
Author: सत्स्वरूपदास गोस्वामी
Description
भगवान् के महान अनन्य भक्त पतित आत्माओं के प्रति दयालु होते हैं और इसलिए वे जीवात्माओं को पुन: अपने घर भगवद्धाम वापस लाने के कार्य से पूरे संसार में यात्रा करते हैं। भगवान् के ऐसे विशुद्ध भक्त पतित आत्माओं का उद्धार करने के लिए भगवान् का संदेश लेकर आते हैं और इसलिए सामान्य मनुष्य को, जो भगवान् की बहिरंगा शक्ति के प्रभाव से भ्रमित हुआ है, उनकी संगति का लाभ उठाना चाहिए।” —श्रीमद्भागवतम् (३.५.३) के भक्तिवेदान्त तात्पर्य में से
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