कर्मयोग (Karmayog)
Author: कृष्णकृपामूर्ती श्री श्रीमद् ए. सी. भक्तिवेदान्त स्वामी प्रभुपाद
Description
भगवान् श्रीकृष्ण का हमारे लिए एक सन्देश है - हम यह शरीर नहीं हैं, हम आध्यात्मिक हस्ती हैं। शुद्ध आध्यात्मिक समझ में जाति, रंग या स्त्री-पुरुष इत्यादि पदों का कोई महत्त्व नहीं है। इस गैर सांप्रदायिक मंच से पूरी दुनिया में वास्तविक एकता और शांति प्राप्त की जा सकती है। इस समझ के बिना, हम जो सुख की खोज कर रहे हैं, वह हमारी पहुँच के भीतर व्यक्तिगत या सामूहिक रूप मे नहीं होगा। द्वितीय विश्वयुद्ध के कुछ देर बाद लिखे गये इस पुस्तक में बताया गया है कि यह समाज किस प्रकार से भगवान् केंद्रित समाजवाद में शांति से रह सकता है।
Sample Audio
Copyright © 1972, 2022 BHAKTIVEDANTA BOOK TRUST (E 5032)